नई दिल्लीस्वर्ण मंदिर के पास एक जमाने में जरनैल सिंह भिंडरावाले की तूती बोलती थी. वहां अमृतसर के लोगों और खालिस्तानी अलगाववादियों ने एक रिक्शावाले को शक की नजरों से देखा. ऑपरेशन ब्लैक थंडर से दो दिन पहले वो रिक्शावाला स्वर्ण मंदिर के अहाते में घुसा और अलगाववादियों के बारे में पूरी जानकारी लेकर बाहर आया. वो रिक्शावाला और कोई नहीं, बल्?कि भारत सरकार के वर्तमान सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल थे. एक अधिकारी के अनुसार, Operation Black Thunder में खालिस्तानियों की योजना का पूरा खाका अजित डोभाल ने ही सुरक्षाबलों को उपलब्ध कराया था. डोभाल ही नक्शे, हथियारों और लड़ाकों की सटीक जानकारी बाहर लेकर आए थे. इसी तरह 80 के दशक में डोभाल के चलते ही भारतीय खुफया एजेंसी मिज़ोरम में अलगाववादियों के शीर्ष नेतृत्व को भेदने में कामयाब रहे थे. बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार, विदर्भ मैनेजमेंट एसोसिएशन के समारोह में भाषण देते हुए अजीत डोभाल ने एक वाकया सुनाया था, लाहौर में औलिया की एक मजार है, जहां बहुत से लोग आते हैं. मैं एक मुस्लिम शख्स के साथ रहता था. एक बार मैं उस मजार में चला गया. वहां कोने में एक शखूस बैठा था जिसकी लंबी सफ़ेद दाढ़ी थी. उसने मुझसे छूटते ही सवाल किया कि क्या तुम हिंदू हो? डोभाल ने कहा- नहीं. डोभाल के मुताबिक़, वह आदमी मुझे एक छोटे से कमरे में ले गया और दरवाजा बंद करके कहा- देखो तुम हिंदू हो. मैंने कहा आप ऐसा क्यों कह रहे हैं? तो उसने कहा आपके कान छिदे हुए हैं. मैंने कहां- हां, बचपन में मेरे कान छेदे गए थे लेकिन मैं बाद में कनवर्ट हो गया था. उसने कहा तुम बाद में भी कनवट नहीं हए थे. खैर तम इसकी प्लास्टिक सर्जरी करवा लो नहीं तो यहां लोगों को शक हो जाएगा. डोभाल आगे बताया, उसने एक अलमारी खोली जिसमें शिव और दुर्गा की एक प्रतिमा रखी थी. उसने कहा, मैं इनकी पूजा करता हूं लेकिन बाहर लोग मुझे एक मुस्लिम धार्मिक शख्स के रूप में जानते हैं. डोभाल के बारे में यह भी कहा जाता है कि 90 के दशक में उन्होंने कश्मीर के खतरनाक अलगाववादी कूका पारे का ब्रेनवाश कर उसे काउंटर इंसजेंट बनने के लिए मनाया था. 1999 के कंधार विमान अपहरण के दौरान तालिबान से बातचीत करने वाले भारतीय दल में अजीत डोभाल भी शामिल थे. रॉ के पूर्व चीफ़ दुलत कहते हैं, यह डोवाल का ही बुता था कि उन्होंने हाइजैकर्स को यात्रियों को छोड़ने के लिए राजी किया. शुरू में आतंकियों की मांग 100 चरमपंथियों को छोड़ने की थी, लेकिन अंतत- सिर्फ तीन चरमपंथी ही छोड़े गए. डोभाल के साथी ष्टङस्स्न के पूर्व महानिदेशक केएम सिंह कहते हैं, ढुक्क में मेरे खयाल से ऑपरेशन के मामले में अजित डोभाल से अच्छा अफसर कोई नहीं हुआ है. 1972 में वो आईबी में काम करने दिल्ली आए थे. दो साल बाद ही वो मिजोरम चले गए, जहां वो पांच साल रहे और इन पांच सालों में मिज़ोरम में जो भी राजनीतिक परिवर्तन हुए, उसका श्रेय अजित डोभाल को दिया जा सकता है. उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल में 20 जनवरी, 1945 को अजीत डोभाल का जन्म हुआ था. इनके पिता इंडियन आर्मी में थे. अभी वे दृक्का और भारत के वर्तमान राष्टीय सुरक्षा सलाहकार (हर) हैं.अजमेर मिलिट्री स्कूल से पढ़ाई करने के बाद उन्होंने आगरा यूनिवर्सिटी से इकोनॉमिक्स में पोस्ट-ग्रेजुएशन किया.1968 में केरल बैच के हुक्का अफसर अजीत डोभाल अपनी नियुक्ति के चार साल बाद साल 1972 में इंटेलीजेंस ब्यूरो से जुड़ गए थे. कहा जाता है कि वह सात साल तक पाकिस्तान में खुफिया जासूस रहे.2005 में एक तेजतर्रार खुफिया अफसर के रूप में स्थापित अजीत डोभाल इंटेलीजेंस ब्यूरो के ब्यूरा क डायरेक्टर पद से रिटायर हुए.साल 2009 में अजीत डोभाल विवेकानंद इंटरनेशनल फाउंडेशन के फाउंडर प्रेसिडेंट बने.साल 1989 में अजीत त डोभाल ने अमृतसर के स्वर्ण मंदिर से चरमपंथियों को निकालने के लिए ऑपरेशन ब्लैक थंडर का नेतृत्व किया __था.उन्होंने पंजाब पुलिस और राष्टीय सुरक्षा गार्ड के साथ मिलकर खुफिया ब्यूरो के अधिकारियों के दल के साथ मुख्य भूमिका निभाई थी.जम्मू-कश्मीर में घुसपैठियों और शांति के पक्षधर लोगों के बीच काम करते हुए डोभाल ने कई आतंकियों को सरेंडर कराया था.अजीत डोभाल 33 साल तक नार्थ-ईस्ट, जम्मूकश्मीर और पंजाब में खुफिया जासूस रहे हैं, जहां उन्होंने कई अहम ऑपरेशन किए हैं.30 मई, 2014 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अजीत डोभाल को देश के 5वें राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के रूप में नियुक्त किया.ऑपरेशन ब्लू स्टार के दौरान उन्होंने एक जासूस की भूमिका निभाई और भारतीय सुरक्षा बलों के लिए महत्वपूर्ण खुफिया जानकारी उपलब्ध कराई, जिसकी मदद से सैन्य ऑपरेशन सफल हो सका.पाकिस्तान के खिलाफ सर्जिकल स्ट्राइक के दौरान वह वर सबसे ज्यादा चर्चा में आए.